प्रदोष व्रत, एक प्रतिष्ठित हिंदू उपवास परंपरा, जिसे चंद्र कैलेंडर के दोनों कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के तेरहवें दिन मनाया जाता है। यह भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है, और भारत भर में भक्त इसे गहरी भक्ति के साथ मनाते हैं। कुछ क्षेत्रों में, भक्त इस शुभ दिन पर विशेष रूप से भगवान शिव के नटराज रूप की पूजा करते हैं।
हिंदी में ‘प्रदोष’ शब्द का अर्थ ‘संध्या से संबंधित’ या ‘रात का पहला भाग’ होता है। इस उपवास अनुष्ठान को प्रदोष व्रत कहा जाता है क्योंकि यह ‘संध्याकाल’ के दौरान शाम को मनाया जाता है।
प्रदोष व्रत जून 2024: तारीख और समय जून में प्रदोष व्रत मंगलवार, 19 जून को मनाया जाएगा। ड्रिक पंचांग के अनुसार उपवास के लिए शुभ समय निम्नलिखित हैं:
- त्रयोदशी तिथि शुरू – सुबह 7:29 बजे, 19 जून 202
- त्रयोदशी तिथि समाप्त – सुबह 7:49 बजे, 20 जून 2024
प्रदोष व्रत जून 2024 का महत्व यह पवित्र व्रत आनंद, संतोष और भगवान शिव और देवी पार्वती के आशीर्वाद लाता है। भक्त इसे दिव्य आशीर्वाद और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने के लिए मनाते हैं।
प्रदोष व्रत जून 2024 अनुष्ठान
- भक्त सूर्यास्त से एक घंटा पहले स्नान कर पूजा की तैयारी करते हैं।
- प्रारंभ में भगवान शिव, देवी पार्वती, भगवान गणेश, भगवान कार्तिक, और नंदी की पूजा की जाती है।
- शिवलिंग को घी, दूध, और दही जैसे पवित्र द्रव्यों से स्नान कराया जाता है, इसके बाद बिल्व पत्र चढ़ाए जाते हैं।
- भक्त शिव पुराण से कहानियाँ पढ़ते हैं या प्रदोष व्रत कथा सुनते हैं।
- वे महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जप करते हैं, अपने माथे पर पवित्र भस्म लगाते हैं और कलश से जल पीते हैं।
प्रदोष व्रत जुलाई 2024: तारीख और समय जुलाई में प्रदोष व्रत (आषाढ़) कृष्ण पक्ष 3 जुलाई 2024 को मनाया जाएगा।
- त्रयोदशी तिथि शुरू – सुबह 07:10 बजे, 03 जुलाई 2024
- त्रयोदशी तिथि समाप्त – सुबह 05:54 बजे, 04 जुलाई 2024
प्रदोष व्रत जुलाई 2024: महत्व
यह पवित्र व्रत आनंद, संतोष और भगवान शिव और देवी पार्वती के आशीर्वाद लाता है। भक्त इसे दिव्य आशीर्वाद और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने के लिए मनाते हैं।
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प्रदोष व्रत जुलाई 2024: पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
प्रदोष व्रत पर पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6:45 से रात 9:02 बजे तक है।
प्रदोष व्रत जुलाई 2024: पूजा विधि
व्रत सूर्यास्त से पहले स्नान के बाद शुरू होता है। भगवान शिव, देवी पार्वती, भगवान गणेश और नंदी की पूजा की जाती है, और शिवलिंग पर दूध और पानी की अर्पणा की जाती है। भक्त गण महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करते हैं और मानते हैं कि प्रदोषम पर एक दीया (लैंप) जलाना शुभ परिणाम लाता है।